Part:1
Business Startup Part:1- How to start business:व्यापर का प्रारूप क्या होता है
आज हम बात करेंगे कि बिजनेस कैसे स्टार्ट करें. व्यापर का प्रारूप क्या होता है.
बिजनेस के बारे में बताने से पहले मैं आपको यह बता दूं कि अगर आप चाहते हैं कि आपको बिजनेस से रिलेटेड, साइंस से रिलेटेड, रहस्य से रिलेटेड न्यूज़ जानकारी चाहते हैं तो हमारे पेज को फॉलो जरूर करलें.
हम जैसे बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं. जो कोई बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हैं. पर उन्हें कोई आईडिया नहीं होता कि बिजनेस को स्टार्ट कैसे करें.
तो इस How to start business की सीरीज में स्टेप बाय स्टेप मैं आपको बताऊंगा कि आप बिज़नस कैसे स्टार्ट कर सकते हैं.
तो इस How to start business की सीरीज में स्टेप बाय स्टेप मैं आपको बताऊंगा कि आप बिज़नस कैसे स्टार्ट कर सकते हैं.
दोस्तों भारत जैसे महान देश में हम सभी के अंदर एक सफल बिजनेसमैन छिपा होता है. लेकिन कभी अपने आपko पहचान नहीं पाते. और जिस दिन आपके दिमाग में यह आ जाता है कि हम कोई बिजनेस करके अपना कैरियर बहुत ही अच्छा बना सकते हैं. तो उस दिन आपके अंदर आत्मविश्वास कूट-कूटकर भर जाता है.
लेकिन अब सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि बिजनेस स्टार्ट कैसे किया जाए ? ये बहुत ही बड़ा सवाल है.
भारत जैसे देश में तो बहुत ही बड़ी प्रॉब्लम होती है, बिजनेस को लेके. यहां कोई बिजनेस के बारे में बताने वाला नहीं होता, नाही कोई यह बताने वाला होता है कि बिजनेस कैसे स्टार्ट करें, यहां सबसे पड़ीं प्रॉब्लमयह यह है की यहां लोग बिजनेस के पीछे कम और जॉब के पीछे ज्यादा भागते हैं.
How to Start Business?
How to Start Business?
बिजनेस कैसे स्टार्ट किया जाए?
दोस्तों बिजनेस तीन प्रकार का होता है.
1. Manufacturing
2. trading
3. service provider
So let us know all three types of business in detail.
2. trading
3. service provider
So let us know all three types of business in detail.
तो चलिए हम बिजनेस के तीनो प्रकार के बारे में विस्तार से जानते हैं.
1. Manufacturing- अगर आप कोई इस तरीके का बिजनेस करना चाहते हैं जो वस्तुएं बनाती है. यानि आपकी कंपनी अगर वस्तुएं बनाती है तो आपकी जो कंपनी है, आपका जो बिजनेस है वह एक Manufacturing बिज़नस है. कहने का मतलब यह है कि अगर आप वस्तुओं का निर्माण करते हैं तो आप Manufacturing बिज़नस करते हैं.
2. Trading- अगर आप किसी दूसरे से वस्तुएं खरीद कर आगे बेचते है. और trading बिजनेस करते हैं.
2. Trading- अगर आप किसी दूसरे से वस्तुएं खरीद कर आगे बेचते है. और trading बिजनेस करते हैं.
उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि अगर आप का कोई कपड़े का धंधा है, आप किसी से कपड़ा परचेस करेंगे और फिर उसे customer को बेचेंगे. इस तरीके का व्यापार trading व्यापार कहलाता है.
3. service provider- और अगर आप किसी चीज की सेवा प्रदान करते हैं किसी को तो वह एक service provider बिज़नेस होता है. जैसे डॉक्टर,अपनी सर्विस देकर लोगों की सेवा करते हैं, ट्रांसपोर्ट. ट्रांसपोर्ट भी एक तरीके का सर्विस बिज़नेस है. और ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं सर्विस बिज़नेस के.
किसी भी कंपनी का निर्माण करने के लिए अलग-अलग प्रारूप होते हैं तो हम बात करेंगे कि कंपनी का निर्माण कैसे करें?
1. Proprietorship company (एकल स्वामी व्यापर)- जब कोई व्यक्ति खुद की पूंजी से कोई व्यापार स्टार्ट करता है और उस व्यापार में होने वाला लाभ यहां खुद ही उठाता है तो वह एकल स्वामी व्यापार कहलाता है. एकल व्यापार में जो व्यापारी स्टार्ट करता है उसी का पैन कार्ड यूज़ होता है. कहने का मतलब यह है कि जो आपकी आइडेंटिटी है उसको आपके ब्यापार से अलग नहीं किया जा सकता.
2. partnership (साझेदारी)- साझेदारी दो प्रकार की होती है एक Register partnership और nonregister partnership.साझेदारी का मतलब है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर कोई बिजनेस स्टार्ट करते हैं तो उसे साझेदारी व्यापार कहा जाता है. बात यह है कि साझेदारी व्यापार में साझेदारों का जो दायित्व होता है वह सीमित नहीं होता वह असीमित होता है.
3. LLP (Limited liability partnership)- आप अपने व्यापार के पार्टनर का परसेंटेज निर्धारित कर सकते हैं उसकी देनदारी कितनी पर्सेंट होगी.आप जितने भी परसेंटेज पूंजी अपने व्यापार में लगाएं हैं उसी के आधार पर आप अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
4. Private limited company- एक वो कंपनी जो भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत रजिस्टर्ड होती है उस कंपनी को Carpet कंपनी भी कहा जाता है. और किसी भी कॉर्पोरेट कंपनी में कम से कम 2 डायरेक्टर और ज्यादा से ज्यादा कितने भी डायरेक्टर हो सकते हैं. इसे कहते हैं.प्राइवेट लिमिटेड कंपनी.
Why is a private limited company formed?
Why is a private limited company formed?
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्यों बनाई जाती है?
जब बहुत सारे व्यक्ति मिलकर एक बिजनेस शुरू करना चाहते हैं. तो सभी लोगों द्वारा लगाई गई पूंजी उसकी लगाई गई पूंजी के अनुपात में उसके ऊपर देनदारी और लेनदारी होती है. जितनी percentage पूंजी आपने व्यापार में लगाई होगी उतनी ही लाइबिलिटी आप पर होगी. अब उसी के आधार पर आपको लाभ का हिस्सा दिया जाएगा.
5. Public limited company- जो अपनी कंपनी का शेयर किसी भी व्यक्ति को बेचकर कंपनी में पूंजी एकत्रित कर सकता है. उसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कहते हैं. जब बहुत सारी कंपनी मिलकर साथ में बिजनेस करती हैं तो उसे जॉइंट वेंचर कंपनी कहा जाता है.
दोस्तों व्यापार कैसे प्रारंभ करें का पार्ट 2, हम जल्दी लायेंगे. तब तक के लिए धन्यवाद!
1 Comments
Achchha laga aap ki jankari
ReplyDeleteplease comment if you like the post.